अगर दो घंटे से ज्यादा देर कोई स्वर चलता है तो यह किसी बीमारी का प्रतीक है ।
जब सुषमना नाड़ी अर्थात दोनो नथुनों से एक साथ सांस आता है तो उस समय मन सात्विक हो जाता है उस समय योग का विशेष अभ्यास करना चाहिये । यह समय 5-10 मिनिट से ज्यादा नहीं होता ।
अगर सुषमना नाड़ी लगातार दो घंटे से ज्यादा चलती है तो यह कोई घातक बीमारी की निशानी है । सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर के बीच तालमेल बिठा रही है ।
सुषमना स्वर अधिक चलने पर चिन्ता नहीं दिनचर्या मे सुधार करो ।
एक दम ताप या शीत बढ़ने से, पाचन व्यवस्था के गड़बड़ाने से, लम्बे समय तक तनाव की अवस्था मे रहने से सुषमना स्वर लम्बे समय का हो जाता है । उस लम्बे काल को सीमित करने के लिये आहार, व्यवहार, विचार मे परिवर्तन करना चाहिये, इस से स्वर अनुकूल हो जाता है ।
अपना नियमित स्वर चक्र जानना हो तो कुछ दिन के लिये, अपनी जेब मे हर समय कागज कलम रखे । अपने प्रत्येक कार्य करने के दौरान थोड़ी थोड़ी देर के बाद अपने स्वर की जांच करें की कौन सा स्वर चल रहा है ।
नोट करो कि भोजन, शयन, स्नान आदि क़ी क्रियाओं से पहले और बाद मे कौन सा स्वर चला है । अति सर्दी अति गर्मी के समय स्वर नोट करें । सप्ताह भर मे अपना औसत स्वर चक्र जान लेगें ।
आरम्भ मे आप को स्वर का यह हिसाब किताब रखना अजीब लगेगा लेकिन कुछ ही दिनो मे आप को इस जाँच मे रस आने लगेगा । फ़िर इस जांच की जरूरत नहीं होगी । आप का ध्यान बिना किसी यत्न के हर समय सांस की ओर लगा रहेगा । बिना नासिका छिद्र को छुये अपने स्वर का वेग जान लेगें ।
इस से कुछ ही दिनो मे अपने भीतर दिव्यता प्रकट होगी । जब कभी तनाव या किसी और मनोदशा से पीडित होगें तो अपने स्वर पर ध्यान देने से तनाव मुक्त हो जायेगे । आप एक नये व्यक्ति के रुप मे निखरते चले जायेगे ।