Saturday, April 18, 2020

बिन्दु रूप का अभ्यास 48संगीत

          भगवान  के बिंदु रूप का अभ्यास करते हुए जो संगीत में डूब जाता है उसे संगीत से बदला जा सकता है । 

        मोजार्ट के पियानो सोनाटा  K 448 को सुनने से मिर्गी के मरीज में दौरों की संख्या कम हो जाती है । 

          कोई कितना भी बीमार क्यों ना हो वह  संगीत पर प्रतिक्रिया  देता है । 

मधुर संगीत योग की तरह  कार्य करता है । 

संगीत भावनात्मक असंतुलन को जीत लेता है । 

चाहे कुछ भी रोग हो संगीत मस्तिष्क को प्रभावित  करता ही है । 

          जो लोग हृदय रोग से पीड़ित है उन्हे भगवान के बिंदु रूप को याद करते हुए  निम्न गीत सुनने चाहिये । 

तोरा  मन दर्पण कहलाए  - काजल फिल्म 

राधिका तूने बांसुरी चुराई -.बेटी बेटे फिल्म । 

झनक झनक तेरी बजे पायलिया-  मेरे हजूर  फिल्म 

-ओ दुनिया के रखवाले  - बैजू बावरा फिल्म  । 

मुहब्बत की झूठी कहानी पर रोए  -  मुगले  आजम  फिल्म 

          सिर दर्द को ठीक करने लिये भैरव संगीत सुनना  चाहिये । इस संगीत से  संबंधित निम्न गाने  सुनने चाहिये तथा भगवान को भी याद करते रहना चाहिये । 

मोहे भूल गए सावरिया  - बैजू बावरा फिल्म 

   राम  तेरी गंगा मैली -टाईटल  सॉंग 

       पूछो ना कैसे मैने रैन बिताई  - फिल्म तेरी सूरत मेरी आंखे 

       सोलह वर्ष की बलि उम्र को सलाम  - फिल्म एक दूजे के लिये

हर संकल्प एक पेड है

               आप जिस भी  शब्द का इस्तेमाल करते है वह एक पेड़ का बीज है । सोचते ही बीज से एक  छोटा  सा अंकुर   बन जाता है ।जिस व्यक्ति के बारे आप सोच  रहें है यह अंकुर   उस दिशा  में बढ़ता और फैलता जाता  है । 

         जितना ज्यादा आप सोचेगे यह अंकुर /पौधा  उतना ही फैलता जायेगा  और उस व्यक्ति को अपने लपेटे में ले लेगा । जो आप सोच  रहें है उसी अनुसार इस से निकल रही सुगंध या दुर्गंध वह व्यक्ति अनुभव करेगा ।

           यह पौधा  जितना दूसरे व्यक्ति की  तरफ़ बढ़ता  है उतनी ही इसकी जड़े आप के अंतर में भी  गहरी होती जायेगी और वैसा ही सुख या दुख आप को होगा जैसा दूसरे को हो रहा है ।

          अगर हम किसी के प्रति शांति, प्रेम, सुख,सहयोग, सम्मान, शाबाश, मुबारक आदि शब्द प्रयोग करते है तो  समझो  उसको ऐसे पेड़ों ने घेर लिया है जिन से वह हर समय आनंदित होता रहेगा । आप भी  आनंदित होते रहेंगे क्यों कि  इनकी जड़ आप में ही है ।

              अगर आप दूसरे या दूसरों के प्रति सोचते है वह गंदे है, बुरे है, झूटे है, बेईमान है,दगाबाज है, क्रोधी है, अहंकारी है, जिद्दी है, खोटे है, तो समझ लो  उन के चारो तरफ़ ऐसे पौधे उग आयें है जिन से उन्हे  दुख अनुभव होता रहेगा । तथ आप भी  ऐसा ही दुख अनुभव करते रहेंगे क्योंकि जड़ तो आप में ही फैलती गई है ।

              आनंद शब्द को मन में लगातार और जोर दे कर  दोहरायें  और एक समय ऐसा आयेगा जब आप का जीवन आनंदमय हो जाता  है । यह कोरी कल्पना नही, बल्कि एक सत्य है ।

           यदि आपके जीवन में ऐसी चीजे आ रही है जिन्हे आप नही चाहते, तो यह तय है कि आप अपने विचारो या अपनी भावनाओ के बारे जागरुक  नही रहते । इसलिये विचारो के प्रति जागरुक बनो ताकि आप अच्छा  महसूस कर सके और बदलाव ला सके ।

          याद रखो यह सम्भव ही नही कि आप अच्छॆ  विचार सोचे और बुरा महसूस  करें  ।

          जितने भी  महान लोग हुये है उन्होने ने हमें दया और प्यार का मार्ग दिखाया और इसकी मिसाल बन कर ही वे  हमारे इतिहास के प्रकाश स्तम्भ बने ।

         नाकारात्मक सोचने, बोलने और दुख अनुभव करने में बहुत एनर्जी खर्च हो जाती है ।

-सबसे आसान रास्ता है, अच्छा  सोचना, बोलना और करना ।