Saturday, October 6, 2012

जीवन में विश्राम शब्द उपयुक्त नहीं है

 

 

 

 

 

 

 

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1-          एडिंगटन एक बहुत बडे वैज्ञानिक हुये हैं,उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि आदमी की भाषा में रेस्ट,विश्राम शव्द झूठा है ।क्योंकि पूरी जिन्दगी के अनुभव के बाद मैं यह कहता हूं कि कोई भी चीज विश्राम में नहीं है,या तो चीजें आगे जा रही हैं या तो पीछे।कोई भी चीज ठहरी नहीं है,रेस्ट नाम की चीज नहीं है ।

 

2-          इसका मतलव यह हुआ कि या तो आप खोयेंगे या आप पायेंगे । अगर आप पा नहीं रहे हैं तो आप पूरे समय खो रहे हैं ।लेकिन पहले पता तो चल जाय कि हम कुछ पा रहे हैं हमें कुछ मिल रहा है ।जिस मनुष्य के मन में यह प्रश्न उठता है, उस मनुष्य को परमात्मा से बहुत दिनों तक दूर रखने का कोई कारण नहीं है ।आज नहीं तो कल या परसों परमात्मा की ओर यात्रा जरूर शुरू हो जायेगी । हमारी जिन्दगी में जो भी है कुछ भी ठहरता नहीं है जिन्दगी एक धारा है ,नदी है । चीज चली जाती है लेकिन हम परेशान रहते हैं ।

 

3-          एक आदमी गाली देता है ,वह गाली आती है,गूंजती है और चली जाती है । और हमारी नीद रातभर खराब हो जाती है कि उसने गाली दी । जबकि गाली टिकती नहीं है, लेकिन हम गाली पर टिक जाते हैं । जिन्दगी एक बहाव है लेकिन हम हर चीज पकडकर रखते हैं ।

 

4-          महात्मा बुद्ध का नाम सुना होगा आपने,एक दिन सुबह किसी आदमी ने बुद्ध के ऊपर थूक लिया इसलिए कि वह क्रोध में था, बुद्ध ने कपडे से अपना मुंह पोंछ लिया और उस आदमी से कहा ,और कुछ कहना है ? जबकि उस आदमी ने कुछ कहा नहीं था बल्कि सीधा अपमान किया था । बुद्ध ने कहा,जहॉ तक मैं समझता हूं,तुम कुछ कहना ही चाहते हो,लेकिन शव्द कहने में असमर्थ होंगे,इसलिए थूककर तुमने कहा है ।अक्सर ऐसा होता है कि प्रेम में हो तो शव्द से नहीं कह पाता है तो वह गले से लगा लेता है ।कोई बहुत श्रद्धा में होता है तो,शव्द से नहीं कह पाता तो चरणों पर सिर रख देता है । इसी प्रकार अगर कोई क्रोध में होता है तो शव्द से नहीं कह पाता है थूक देता है । । इसलिए बुद्ध ने कहा मैं समझता हूं कि तुमने कुछ कहा है ।,और भी कुछ कहना चाहते हो ?

          वह आदमी मुश्किल में पड गया ।वह वापस लौट गया । रात भर सोया नहीं । सुबह बुद्ध से क्षमा मॉगने आया। कहने लगा मुझे क्षमा कर दें । बुद्ध ने कहा किस बात की क्षमॉ मांगते हो ?उसने कहा मैंने कल आपके ऊपर थूक दिया था । बुद्ध ने कहा, न अब थूक बचा और न अब कल बचा,न अब तुम वहॉ हो, न अब मैं वहॉ हूं। कौन किसको क्षमा करे ?कौन किसपर नाराज हो ?चीजें सब बह गईं । तुम भी वहॉ नहीं हो ।क्योंकि कल तुमने थूंका ,आज तुम चरणों पर सिर रखते हो ।कैसे मानूं कि तुम वहीं हो ।

 

5-           मेरा एक साथी बहुत क्रोधी है वे बार-बार मुझसे पूछते थे कि मैं क्रोध से बचने के लिए क्या करूं ।कई उपाय अपनाये मगर कोई भी काम न आया काफी संयम साधा मगर क्रोध और भी अधिक आने लगा था, फिर मैनें उन्हैं इक कागज पर लिखकर दिया कि इस क्रोध से मुझे क्या मिल जायेगा । उस कागज को मोडकर उस दोस्त से कहा कि इसे अपने जेब में रख लो और जब भी क्रोध आये इस कागज को निकालकर पठ लेना और फिर जेब में रख लेना । वे पन्द्रह दिन बाद मेरे पास आये और कहने लगे बडा अजीव कागज है इसमें कुछ रहस्य,कोई मंत्र,कोई जादू जरूर है ? मैने कहा इसमें कोई रहस्य या मंत्र नहीं है ,एक साधारण कागज पर हाथ की लिखावट है । अब तो हालत यह हो गई थी कि उस कागज को निकालकर पढना भी नहीं पडता था ,बस हाथ जेब में डाला नहीं कि क्रोध का मामला विदा हो जाता था । जैसा ही खयाल आया कि इस क्रोध से क्या मिल जायेगा ? क्रोध अपने आप विदा हो जाता । जिन्दगीभर का अनुभव है कि कभी कुछ मिला नहीं है ।सिर्फ खोया जरूर है ,मिला कुछ भी नहीं है ।

          ध्यान रखना चाहिए कि जिस चीज से कुछ नहीं मिलता,यह न समझें कि सिर्फ कुछ नहीं मिलता । जिससे कुछ मिलता है,उसमें कुछ खोता भी जरूर है, इस जिन्दगी में या तो माइनस होता है या प्लस । या तो कुछ मिलता है या कुछ खोता है । बीच में कभी नहीं होता है । पूरी जिन्दगी में या तो कुछ मिलेगा या खोयेगा । और यदि आपको कुछ नहीं मिला तो आपने कुछ खोया जरूर है । जिसका कि आपको पता नहीं है अपने जगह पर खडे नहीं रह सकोगे यातो आगे जाओगे या पीछे ।