1-भगवान का सिमरण करते ही हमें रूहानी शक्ति मिलने लगती है़
2-सब से पहले यह शक्ति हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका को मिलती है ।
3-एक संकल्प जब हम करते है तो यह 1 से 3 मिनट के अंदर शरीर की प्रत्येक कोशिका को पहुंच जाता है ।
4-शरीर में अरबों कोशिकाये है । इसलिये सभी कोशिकाओं को शक्तिशाली बनने में समय लगता है ।
5-लगभग 10 हजार संकल्प जब हम रिपीट कर लेते है तो इस से शरीर की सभी कौशिकायें ईश्वर की शक्ति से भरपूर हो जाती है और वह शक्ति मन को भेजने लगती है । जिस से हमें अनुभूति होने लगती है ।
6-अगर दस हजार से कम संकल्प रह जायेंगे तो कम अनुभूति होगी । आति इंद्रिय सुख नहीं मिलेगा ।
7-दस हजार संकल्प करने से इतना बल बनता है कि एक दिन किसी भी विकार का मन पर प्रभाव नहीं पड़ता ।
8-अगर कोई भी विकार मन में आता है तो इसका सीधा सा अर्थ है कि दस हजार से कम सिमरन किया है ।
9 - ये दस हजार संकल्प एक दिन की खुराक है, शरीर का भोजन है । इतने संकल्प हर रोज करने है और तब तक करने है जब तक हम जिंदा है ।
10-हम स्थूल भोजन जीवन भर करते है । अगर भोजन कम करेंगे तो बीमार हो जायेंगे ।
11- ऐसे ही शुद्ध संकल्पों का भी भोजन करना है । नहीं करेंगे तो मानसिक रोग अर्थात मानसिक परेशानी बनी रहेगी ।