Sunday, June 10, 2018

डिप्रेशन फ्री लाइफ कोर्स

                आठवां दिन पंडा पुजारी, व ढोंगी बाबाओ से सदा के लिए छुटकारे पाए,ये प्रयोग कीजिये आने वाली समस्याओं से बचने के लिए, स्वास्थ्य के लिए जल चार्जिंग और सुझावों के लिए टिप्स किसी भी प्रकार की बीमारी के इलाज के लिए,नीचे दिए गए 4 विधियों का पालन करें जब हम सो जाते हैं, हमारा अवचेतन मन जाग्रत हो जाता है, तो अवचेतन मन में इस विचार के साथ 5 बार भरें -मैं इस बीमारी से मुक्त ही हूँ। 
                 मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ।" अगर आप इन शब्दों को आत्मविश्वास से कहते हैं, तो आपका अवचेतन मन उन्हें स्वीकार कर लेगा। जैसे- "मेरा बीपी सामान्य हो गया है। मेरा दिल बिल्कुल ठीक हो गया है या मेरी गुर्दे पूरी तरह ठीक हो गए हैं.. आदि।" इन विचारों को पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कहें, तब अवचेतन मन उन्हें स्वीकार कर लेगा।  पानी को कम से कम 5 बार एक दिन में चार्ज करें और इसे पी लो। पानी चार्ज करने का तरीका है - पानी में दृष्टि दें और 5 बार संकल्प करें- "मैं सर्वशक्तिमान आत्मा हूं।"  (आप ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र में शिव बाबा के योग कक्ष में पानी की बोतल / जग को रखकर भी यह प्रयोग कर सकते हैं या घर पर शिव बाबा की तस्वीर के सामने योग के दौरान पानी में दृष्टि दें और शिवबाबा की किरणों को पानी पर पड़ते और इसे शुद्ध करते हुए देखें । महसूस करें कि पानी पूरी तरह से सकारात्मक, सक्रिय रूप से चार्ज है और इस चार्ज पानी को पीने पर मेरे विचार शुद्ध विचार हो गए हैं मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं। यह पानी शरीर में प्रत्येक कोशिका को पूरी तरह से चार्ज कर रहा है और सभी अशुद्धियों को निकाल रहा है. आपके शरीर (मस्तिष्क, गुर्दा, हृदय, आदि) के किसी भी अंग को कुछ समस्या हो तो, उस अंग को सुबह, दोपहर और शाम 5 मिनट हर बार ऊर्जा दें। ऊर्जा देने का तरीका है- दोनों हथेलियों को रगड़ें और संकल्प करें- "मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं।" और फिर हथेलियों को शरीर के प्रभावित हिस्से पर हथेलियां रखो । कुछ समय बाद, इस प्रक्रिया को वापिस दोहराएं। शरीर को ऊर्जा देने के दौरान सोचें कि शरीर का यह हिस्सा सही हो रहा है, यह पूरी तरह ठीक हो रहा है। इस शरीर का हिस्सा बनता जा रहा है यह सही है, यह पूरी तरह से ठीक होता जा रहा है है। 🌺 अमृतवेले विशेष योग करें। रोग से छुटकारा पाने के लिए, एक घंटे का योग करने के लिए, दिन के दौरान कुछ समय तय (Fix) करें। इसे 21 दिनों के लिए करें। यदि योग करने का स्थान और समय एक निश्चित समय पर हर रोज होता है, तो यह अच्छा होगा। यदि बीमारी पुरानी है और लंबे समय से फील होती है, तो इस योग को 3 महीने के लिए करें। ⁉️ भट्टी कैसे करें (विशेष, गहन योग) समस्या मुक्त बनने के लिए, विघ्नों से मुक्ति : अमृतवेला योग के अलावा, यह योग 21 दिनों के लिए भी करने हैं। योग शुरू करने से पहले ये दो स्वमान 5 बार अभ्यास करने हैं - "मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं। मैं विघ्न विनाशक आत्मा हूं।" उसके बाद एक घंटे के लिए शक्तिशाली योग करें। योग के दौरान, शिवबाबा से किरणों को लें / अवशोषित करते रहें। 🌸 नौकरी में सफलता के लिए🌸 किसी भी नौकरी करने में सफल होने के लिए, जैसे ही आप सुबह उठते हैं, ये दो स्वमान 7 बार अभ्यास करें : "मैं मास्टर सर्वशक्तिमान आत्मा हूं। विजय मेरा जन्म सिद्ध अधिकार है।" एक घंटे के लिए एक शक्तिशाली योग करें और योग शुरू करने से पहले 5 बार स्वमान का अभ्यास करें।  बुरी आदतों से मुक्त होने के लिए किसी भी व्यसन, क्रोध से छुटकारा पाने के लिए, बच्चों को अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए, दूसरों को शुद्ध बनाने के लिए... आदि - भोजन तैयार करते समय, खाना पकाने के दौरान, 100 बार संकल्प करें, "मैं सम्पूर्ण पवित्र आत्मा हूं।" *डिप्रेशन फ्री लाइफ कोर्स टेली पेथी योगी अपने विचार: बिना ऊचारण किये दूसरो तक भेज सकता है । 
                         आगे समय ऐसा आने वाला है जो हम अपने संदेश मन द्वारा ही भेजेगे* । -चींटियां बहुत दूर से एक दूसरे से बात कर लेती है । -कुत्ते, बिल्लीया घर से दूर छोड़े जाने पर वापिस आ जाते है । -हर स्थान, हर व्यक्ति, हर वस्तु से सूक्ष्म तरंगे निकलती रहती है । पक्षी इन्ही तरंगों को पकड़ कर सही जगह पहुँच जाते है । 
                    शहद की मक्खी शहद इकट्ठा करने बहुत दुर चली जाती है, किंतु पर्वत, नदिया अनेक स्थानों के ऊपर हो कर मानसिक शक्ति से अपने छत्ते तक पहुँच जाती है । -मनुष्य की मानसिक शक्ति इन सब से बहुत शक्तिशाली होती है । -विचारो में वह शक्ति है जो हजारो मील दूर मनुष्य पर असर करती है 
         । - हजारो मील दूर की आवाजे ऐसे सुन सकते है जैसे हमारे पास कोई बोल रहा हो । -हम सभी थोड़े बहुत विचार भेजते है और प्राप्त करते है । -किसी को स्मरण करते ही व्यक्ति घर आ जाता है या उसी समय उस का फोन आ जाता है । -हम कह उठते है हम आप को याद ही कर रहे थे । -आने वाला व्यक्ति आते आते अपने मस्तिष्क द्वारा विचार तरंगे भेज रहा है । ये तरंगे आकाश में व्याप्त ईथर में हो कर हमारे मस्तिष्क में आ जाती है । हमारा मन उन तरंगों को ग्रहण कर लेता है । मस्तिष्क में आ कर तरंगे पुन्य शव्दो में बदल जाती है   
           । - जिस व्यक्ति को संदेश देना चाहते है वह चाहे कहीं भी हो उस की शक्ल को कल्पना में अपने सामने देखो और उस से बात करो, आप के विचार उस तक पहुँच रहे है । ये विचार बहुत सूक्ष्म होते है । वह सही शव्दो में नही समझेगा परंतु उसको अच्छा व बुरा महसूस होगा जैसा आप का भाव था । वह वैसा ही रिअकट करेगा । अगर दोनो तरफ़ सूक्ष्म व शुद्ध और शक्तिशाली मन है तो हम शब्द भी पकड़ सकते है । इसलिये सदा शुध्द ही सोचो । आप जो चाहते है वह सोचो । उसके वर्तमान के अवगुणों पर ध्यान न दे । -अगर ऐसा व्यक्ति आपके आसपास है तो भी मुख से कम बोलो उसके साथ मन से सकून भरी बातें करो । उसे भी सकून मिलेगा । -याद रखो विजय शुध्द विचार की ही होगी चाहे कितनी देर लग जाये. जैसे आग चाहे कितनी तेज हो और उस पर बूँद बूँद पानी डाले तो विजय पानी की ही होगी आग को बूझना ही होगा । ऐसा अपना विचार दृढ़ रखे । - याद रहे व्यक्ति सिर्फ प्यार से बदलता है । -बड़े बड़े तानाशाह जोर से, दबाव से, मानव को नही बदल सके, एक सधारण मनुष्य की औकात ही क्या है । - इस लिये चेक करो आप के विचारो में उसके प्रति प्यार है या नही जिसे आप संदेश दे रहे है 
                        । - सर्व शक्तिवान बाप भी हमे प्यार से ही बदल रहा है । उनके महावाक्यों में कितनी निर्मानता है । - जिसे हम बदलना चाहते है, उनके प्रति संदेश देने वाले हमारे विचारो में कोमलता व निरमानता हो । मरोड़, धौंस व नाराजगी या नफरत न हो नही तो ये और बढ़ जायेगी । -जो लोग हमारे आस पास है उन पर प्रयोग करो । नई खोज करो । विश्व को इस की जरूरत है । अपना समय सूक्ष्म सेवा में ज्यादा लगाओ । सूक्ष्म बल में निपुण बनो । जो कहते हो बोलते हो वह सब मन से करो तब सब कुछ ठीक हो जायेगा । - सदा याद रखो मैं दाता आत्मा हूँ । यह भाव सब को बदल देगा । आवश्यक सूचना यह निःशुल्क कोर्स है,अपने परिवार के सदस्यों को इस ग्रुप में ऐड करा सकते हो। इस ग्रुप में आप किसी भी प्रकार का कोई मैसेज नही भेज सकते,अन्यथा रिमूव किया जाएगा।* 3: इस कोर्स में जो भी होमवर्क आपको दिया जाएगा उसे फ़ॉलो करना अनिवार्य है। 4 :तीन से चार दिन में ही आपको महसूस होने लगेगा ,और दवाईया अपने आप छूट जाएगी।

ॐ के उच्चारण के 11 शारीरिक लाभ :

              ॐ : ओउम् तीन अक्षरों से बना है। अ उ म् । "अ" का अर्थ है उत्पन्न होना, "उ" का तात्पर्य है उठना, उड़ना अर्थात् विकास, "म" का मतलब है मौन हो जाना अर्थात् "ब्रह्मलीन" हो जाना। ॐ सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति और पूरी सृष्टि का द्योतक है। ॐ का उच्चारण शारीरिक लाभ प्रदान करता है। जानिए ॐ कैसे है स्वास्थ्यवर्द्धक और अपनाएं आरोग्य के लिए ॐ के उच्चारण का मार्ग. उच्चारण की विधि प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। 
            ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। इसका उच्चारण 5, 7, 10, 21 बार अपने समयानुसार कर सकते हैं। ॐ जोर से बोल सकते हैं, धीरे-धीरे बोल सकते हैं। ॐ जप माला से भी कर सकते हैं।

01- ॐ और थायराॅयड- ॐ का उच्चारण करने से गले में कंपन पैदा होती है जो थायरायड ग्रंथि पर सकारात्मक प्रभाव डालता है।

02- ॐ और घबराहटः- अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ॐ के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं।

03- ..ॐ और तनावः- यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।

04- ॐ और खून का प्रवाहः- यह हृदय और ख़ून के प्रवाह को संतुलित रखता है।

5-ॐ और पाचनः- ॐ के उच्चारण से पाचन शक्ति तेज़ होती है।

06-ॐ लाए स्फूर्तिः- इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।

07- ॐ और थकान:- थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।

08- .ॐ और नींदः- नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है।रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चिंत नींद आएगी।

09- .ॐ और फेफड़े:- कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मज़बूती आती है।

10- ॐ और रीढ़ की हड्डी:- ॐ के पहले शब्द का उच्चारण करने से कंपन पैदा होती है।इन कंपन से रीढ़ की हड्डी प्रभावित होती है और इसकी क्षमता बढ़ जाती है।

11- ॐ दूर करे तनावः- ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनाव-रहित हो जाता है। आशा है आप अब कुछ समय जरुर ॐ का उच्चारण करेंगे । साथ ही साथ इसे उन लोगों तक भी जरूर पहुंचायेगे जिनकी आपको फिक्र है ।

अपनी खुशी का गेयर सदा अपने हाथ में रखें

            प्रसन्नता का गेयर हमेशा अपने हाथ में रखें वैवाहिक जीवन पर आधारित एक लाईफ स्किल सेशन में स्पिकर ने दर्शकों में उपस्थित एक महिला से पुछा..... "क्या आपके पति आपको खुश रखते हैं?इस प्रश्न पर उस महिला का पति बड़ा ही आश्वस्त था क्योंकि उनका वैवाहिक जीवन काफी सफल था। 
          उसे पता था कि उसकी पत्नी क्या बोलेगी.. क्योंकि पुरी शादी शुदा जिंदगी में उसकी पत्नी ने कभी भी किसी भी बात के लिए कोई शिकायत नहीं कि थी। महिला ने बड़ी ही गंभीर आवाज में जवाब दिया - "नहीं मेरे पति मुझे प्रसन्न नहीं रखते।
           पति बहुत ही चकित था और वहाँ मौजूद बहुत से दूसरे लोग भी ! परन्तु उसकी पत्नी ने बोलना जारी रखा - "मेरे पति ने मुझे कभी खुश नहीं किया.... और ना ही वे कर सकते है पर फिर भी मैं खुश हूँ"। 
           मैं खुश हूँ या नहीं यह मेरे पति पर नहीं है बल्की मुझ पर निर्भर है। मैं ही एकमात्र व्यक्ति हूं जिस पर मेरी खुशी निर्भर करती है। मेरी जिन्दगी की हर परिस्थिति और हर पल में... मै खुश रहना पसंद करती हूँ, क्योंकि अगर मेरी खुशी.... किसी दूसरे व्यक्ति, किसी वस्तु या किसी हालात पर निर्भर करती है तो यह मुझे पसंद नहीं और इससे मुझे बहुत तकलीफ होती है। 
           जीवन में जो कुछ भी है वह हर पल बदलता रहता है व्यक्ति, समृद्धि, पैसा, शरीर, मौसम, ऑफिस में बास, सुख-दुख, दोस्त और मेरी शारीरिक व मानसिक अवस्था भी। यह अन्तहीन सूची है और यही हमें प्रभावित करना चाहती है। मुझे खुश रहने का फैसला करना होगा... चाहे जीवन में कुछ भी हो। 
          मेरे पास साडियाँ ज्यादा है या कम पर मैं खुश हूँ। चाहे मैं घर में अकेली रहूँ या बाहर घुमने जाऊँ, मैं खुश हूँ। चाहे मेरे पास बहुत पैसा हो या नहीं पर मैं खुश हूँ। चाहे टीवी पर मेरा पसन्दीदा सीरियल आ रहा है या क्रिकेट मैच, पर मै सदा खुश हूँ। मैं शादी-शुदा हूँ पर मैं तब भी खुश थी... जब मैं सिंगल थी। 
           मैं अपने स्वयं के लिए खुश हूँ। मैं अपने जीवन को इसलिए प्यार नहीं करती की वह दुसरो से आसान है बल्कि इसलिए कि मैने स्वयं खुश रहने का फैसला किया है। जब प्रसन्न रहने का दायित्व मैं अपने आप पर लेती हूँ तब मैं अपने पति के कंधों से अपनी देखभाल करने का बोझ हल्का करती हूँ। 
           यह सोच मेरे जीवन को बहुत आसान बनाती है और "यह हर किसी को भी बना सकती है।" और यही एक मात्र कारण है, हम बहुत सालों से सफल और प्रसन्न वैवाहिक जीवन का आनन्द ले रहे है।  
           अपनी प्रसन्नता का गेयर किसी के हाथ में मत दीजिए। प्रसन्न रहीये चाहे जीवन में बहुत गर्मी हो या बरसात। चाहे आपके पास बहुत पैसा न हो... *चाहे कोई आपको हर्ट करे।* पति चाहे स्टेयरिंग सिट पर बेठे हो और गाड़ी सपाट रोड पर दौड़ रही हो या ऊबड़खाबड़ सड़क पर हिचकोले खा रही हो, गियर हमेशा प्रसन्नता मॉड में ही रखे।                     आपको कोई प्यार भी नहीं करेगा.... कोई भी सम्मान नहीं देगा जब तक आप स्वयं अपने आप को महत्व नहीं देगी। इसलिये आपको स्वयं को जानना बहुत जरूरी है *"स्वयं के महत्व" की जानकारी बेहद जरूरी हैं।*