आन्तरिक बल
आज्ञा चक्र
हरेक मनुष्य का मन हर समय कुछ ना कुछ सोचता रहता है । जब से मनुष्य ज्न्म लेता है तब से सोचना शुरू करता है जब तक हम जीवित हैं तब तक मन सोचता ही रहता है । नींद में भी मन सोचता रहता है । मन सिर्फ सोचता है । उसे यह पता नहीं कि अच्छा क्या है बुरा क्या है ।
बुद्वि एक ऐसी शक्ति है जो हर संकल्प के बारे बताती है कि संकल्प ठीक है या नहीं ।
बुद्वि निर्णय शक्ति है जो बताती है कि क्या करना है ।
आप के घर वाले भूखे हैं । दूसरी तरफ़ स्कूल में बच्चो की फीस भरनी है । आप के पास इतने पैसे हैं या तो घर वालो को भोजन खिला सकते हैं या बच्चो की फीस भर सकते हैं । इन दोनो कार्यों मैं कौन सा कार्य करेगें ।
स्पष्ट है कि आप घर वालो को भोजन खिलायेगे । अगर घर वाले जिंदा होंगे तो फीस तो बाद में भी भरी जा सकती है ।
अगर फीस भरते हैं तो घर वाले भूखे मर जायेंगे । जब आदमी ही नहीं बचेंगे तो फीस भरने का क्या फायदा ।
इन दोनो कार्यों में कौन सा कार्य पहले करना है यह हमे बुद्वि ने बताया है ।
जो जितना बुद्विमान है वह उतना ही सफल होता है । इस लिये बुद्वि को समझना ज़रूरी है ।
समस्या को हल करने की योग्यता ही बुद्वि है ।
नवीन परिस्थियों के अनुसार तालमेल करना ही बुद्वि है ।
निर्णय एवं आलोचना की शक्ति ही बुद्वि है ।
उतम क्रिया करने की योग्यता को ही बुद्वि कहते हैं ।
वह शक्ति जो समस्त मानसिक कार्यों को प्रभावित करती है उसे बुद्वि कहते हैं ।
प्रत्येक व्यक्ति कुछ सीमा तक कार्य करता है और सीमा का निर्णय बुद्वि करती है ।
बुद्वि अनमोल है । इसके बिना हम सही काम नहीं कर सकते । बल्कि एक के बाद एक गलतियां करते जाते है ।