Wednesday, May 20, 2020

सांस और धरती तत्व

आंतरिक बल 
सांस   और पृथ्वी तत्व 

      जो वायु बाहर से भीतर आती है उसे श्वास और जो भीतर से बाहर  जाती है उसे प्रश्वास कहते है ।

       दोनो  नथुनों  से हम बदल बदल कर सांस लेते है और एक नासिका से डेढ़ या दो घंटे तक  सांस लेते है ।

यह जो सांस लेते है इसमे हम सभी पाँचों  तत्वों से उर्जा प्राप्त करते है ।

       मान लो एक स्वर एक घंटे तक चलता  है तो उसमे हम 20 मिनिट पृथ्वी तत्व से उर्जा लेते है, जल तत्व से 16 मिनिट,  अग्नि तत्व से 12 मिनिट, वायु तत्व से 8 मिनिट और आकाश तत्व से 4 मिनिट उर्जा लेते है ।

         हमारे को जीवित रहने के लिये उर्जा भोजन से मिलती है । शरीर को विटामिन, मिनरल  और अनेकों धातुओं की  जरूरत होती है और सधारण आदमी को यह पता नहीं होता कि  उसे किन किन   पौधों से यॆ तत्व प्राप्त होंगे । अगर पता लग भी  जाये तो उन्हे प्राप्त कर पाना बहुत मुश्किल है,  क्योंकि वह बहुत महंगे  होते है ।  हमारे दिमाग मे नाक की जड़ मे ऐसे सूक्ष्म तंतु है जो प्राकृति के विभिन्न  पेड़ पौधौ  से वह तत्व  हवा के माध्यम से  खींच लेते है । वह पदार्थ चाहे पहाडी  इलाकों मे है चाहे दूसरे किसी विश्व के कोने मे है वायु जब वहां से गुजरती है तो उसके सूक्ष्म कण अपने साथ ले लेती है और हम नाक के सूक्ष्म तंतुओ  द्वारा हवा मे से उन्हे ले लेते है और शरीर को हृष्ट पुष्ट करते है । इस लिये हम हर घंटे मे 20 मिनिट पृथ्वी तत्व  से सांस के द्वारा जुड़े रहते है ।

       अगर हम दो तीन घंटे घी से पकवान आदि बनाने मे समय लगाते है तो भूख मर जाती है । इस का कारण यह है कि वह घी के सूक्ष्म कण /शक्ति सांस के द्वारा  प्राप्त कर लेते   है जो हमें भोजन करने से प्राप्त होते है । इसलिये हलवाई आदि को कम भूख लगती है । इसी तरह हर व्यक्ति शरीर के लिये ज़रूरी  तत्व   पेड़ पौधों से  सांस के द्वारा प्राप्त करता  रहता  है । 

       हमे  योग के द्वारा  नाक की  जड़ मे स्थित इस केन्द्र को जागृत करना है ताकि हम विनाश  के समय बिना भोजन भी  जिंदा रह  सके । यह खोज का विषय है ।

ऐसे अनेकों योगी हुये है जो  लम्बे  समय तक बिना कुछ  खाये तपस्या करते रहे । 

       अगर आप का स्वास्थ्य  ठीक नहीं है, तन से कमजोर है तो हर रोज़ कल्पना मे किसी पहाडी पर चले जाओ और वहां के पेड़ पौधों पर मन एकाग्र करो और कहो हे मन जो शरीर के लिये ज़रूरी तत्व है वह सम्बन्धित पौधों से प्राप्त करो । तो आप के मन मे स्थित केन्द्र वह शक्ति सांस से प्राप्त करने लगेगा । आप धीरे धीरे हृष्ट पुष्ट होने लगेगें । यह बहुत सूक्ष्म प्रक्रिया है इसे सिध्द  कर पाना मुश्किल होगा ।