Friday, April 17, 2020

आत्म हत्या


        कई  बार  मा - बाप, भाई - बहिन, पति -पत्नी, बोस और कर्मचारी, किसी संस्था  से जुड़े लोग या पड़ोसी - पड़ोसी से हर समय आपस में हर रोज़ झगड़ते   रहते   है ।  नौबत यहां  तक आ जाती है कि   मार दे या मर जाये । क्या करें ? 

         अगर आप के सिर में दर्द हो रहा  है तो  क्या इस दर्द से छुटकारा  पाने के  लिये सिर को ही काट देंगे.।

       किसी भी  समस्या के लिये आत्म हत्या कोई समाधान नही होता ।

            सामाज में थोड़ी थोड़ी भिन्नता रखी गई है । नही तो तू भी  रानी मै भी  रानी कौन भरेगा घर  का पानी । अगर सभी एक समान होते तो संसार का काम ही रुक जाता । इस लिय भिन्नता ज़रूर रहेगी इस सच को स्वीकार करना ही चाहिये  ।

         असल में हम ने मतभेदों को सकारात्मक रुप से हल  करना   सीखा ही नही है । हम एक दूसरे को दबाते है ।

       मन में भी किसी से   ना कहे तुम्हारा विचार  मूर्खतापूर्ण है, चाहे वह कुछ  भी  कहे । उसे मुख से नही केवल मन में  अच्छा  करने के लिये सुझाव दो । 

         जब व्यक्ति मुश्किल दौर से गुजर रहा होता है तो वह चाहता  है कि  उसके बड़े उसे सिर या पीठ पर स्पर्श करें दूसरा मनुष्य चाहता  है कि उसके साथ मिठास  भरे  बोल बोले जाये । उसे सात्विक ऊर्जा की जरूरत होती है । 

         गहराई में समझो बहिनें चाहती है कि  उनसे विस्तार से बात की  जाये। बातचीत से सम्बन्ध अच्छे  बनते है  समस्या का हल निकलता है । 

         बहिनें भले ही कितनी भी  सफल या आजाद क्यों ना हो, वे बहुत गहरे में, भाईयो से अभिभावक की  तरह संरक्षण चाहती  है । वह अपना बेहतरीन प्रदर्शन तभी दे पाती है जब वह किसी पुरुष की  उपस्थिति में सुरक्षित अनुभव करती है ।

         ऐसे ही सूक्ष्म तल पर आदमी जीवन में बहिनों को खुश देखना  चाहते  है । वह अपना बेहतरीन तभी दे पाते  है जब कोई महिला जिसका संरक्षण प्राप्त है वह जीवन में बहुत खुश हो । अगर ऐसा ना हो तो वह पलायन करता है ।

       स्वयं को बदलो  और वह जैसा व जैसी भी  है उसे स्वीकार करें ।

         आप उसकी ओर से जैसा व्यवहार अपने लिये नही चाहते, उस के साथ उसी रुप में पेश न आयें ।

         प्रेम की  ताकत पर भरोसा रखे । अगर प्रेम से कुछ  सम्भव नही हो सका  तो किसी दूसरी चीज़ से नही हो सकता । प्रेम ही मुक्ति का  द्वार  है । 

        जब बहिनों को यह  लगता है कि उन्हे दुनिया में कोई भी  भाई प्यार नही करता और भाईयो को लगता है दुनिया में कोई भी  बहिन प्यार नही करती, सब स्वार्थी है,  तब वह  जीवन ख़त्म करने का सोचते है ।

         असल में हर आत्मा  प्यार की  भूखी  है । इस इच्छा को केवल मन के द्वारा  पूरा कर सकते है । साधनों व  सुविधाओं से आप एक बच्चे को भी  खुश नही कर सकते ।इस लिए सभी के प्रति मन में स्नेह का भाव  रखो ।

          प्रेम का  नियम उल्टा चलता  है । अगर आप सोचें  कि वह मुझ से प्यार करें तो प्यार नही होगा क्योंकि वह इस के विपरीत   सोचेगा कि पहले  आप उस से प्यार करें ।

        मन में उसे कहे आई लव यू  लाइक यू तो वह वह भी  आप को कहेगा  आई लव यू  लाइक यू ।

        आप अपने मन में देखो  उसके जीवन में क्या चाहिये  जो मै उसे दूँ  उसकी  मदद करूँ । तब वह भी  बदले में आप के बारे ऐसे ही सोचेगा । इस से दोनो पक्षों में प्यार हो जायेगा और आत्म हत्या का  बीज   ही ख़त्म  हो जायेगा । आप की अमूल्य मानसिक उर्जा नष्ट होने से बच जायेगी ।

       यही नियम बोस वा कर्मचारी, गुरु वा चेला या पड़ोसी पड़ोसी में भी  लागू होता है ।

        एक शब्द मन में रिपीट करते रहो आप स्नेही है । चाहे वह डीजरव ( deserve ) करता हो या नही  करता /करती हो । जिंदगी में सदा आगे ही बढ़ते  रहेंगे ।

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