प्रायः भाई भाईयो से और बहिनें बहिनों से या भाई बहिनों से, बहिनें भाईयो से, ईर्ष्या करते रहते है, एक दूसरे की निंदा करते है, पीठ पीछे चुगली करते है, एक दूसरे को आगे नही बढ़ने देते, एक दूसरे को बदनाम करते रहते है, एक दूसरे के कामों में कमियां ढूँढते रहते है, एक दूसरों के प्रति नाकारात्मक भाव उठते रहते है, विचारो में शुद्वता नही आती, क्या करें ?
ईर्ष्या अर्थात उस व्यक्ति की जगह आप लेना चाहते है जिस की आप निंदा कर रहें है ।
दूसरे में कोई ऐसी विशेषता है, पदवी है, सुविधा है जो आप के पास नही है, आप सोचते है वह सब कुछ आप के पास हो, इसलिये आप ईर्ष्या, निंदा चुगली आदि करते है ।
ईर्ष्या अर्थात मेरे पास इस वस्तु व गुण व विशेषता का अभाव है ।
ईर्ष्या अर्थात आप दूसरे से अपने को हीन समझते है ।
मन के नियम का दरूपयोग कर रहें है, आप अप्राप्ति को बढ़ा रहें है ।
लम्बे समय तक इन विचारो में रहेंगे तो आप में ऐसे हार्मोन बनने लगेगें जो आप को कोई न कोई रोग लग़ा देंगे ।
-ईर्ष्या भाव आप के जीवन को खा जायेगा ।
आप को हीन बना देगा ।
कई बार आप में ईर्ष्या नही होते, सब को अपना समझते है, परंतु अचानक किसी किसी के प्रति मन में ईर्ष्या के विचार आने लगेगे, उसकी शक्ल भी सामने आने लगेगी । कई बार ऐसे व्यक्ति घर में होते हैं । आप अपने को दोषी मानने लगते है ।
यहां आप का कसूर नही होता दूसरा व्यक्ति जो आप से परेशान है वह ऐसा सोच रहा होता है । सुबह अमृत वेले ऐसे व्यक्ति परेशान करते है, योग नही लगने देते । आप का मन बार बार ईर्ष्या में भटकेगा । ऐसी स्थिति में बाबा की मुरली पढ़ा करो या कोई और पुस्तक जो आप को पसंद हो पढ़ो । इस से आप उनसे डिस कनेक्ट हो जायेगे तब योग बहुत अच्छा लगेगा ।
ऐसे व्यक्ति के प्रति सदा स्नेह का भाव रखो । कई बार स्नेह का भाव उनके प्रति नही निकलता । इस अवस्था में किसी स्नेही आत्मा को स्नेह दो और उस ईर्ष्यालू आत्मा को देखो कि वह स्नेही आत्मा के पास खड़ी है । आप का फोकस स्नेही पर रहें । आप के प्यार की तरंगे वह आत्मा भी सुन रही है और आप डिसट्रब नही होगे ।
ऐसा व्यक्ति आप का पति व स्कूल टीचर व बोस भी हो सकता है जिसे आप को सुनना होता है , उनके बोलने से आप को अन्दर ही अन्दर बहुत दुख होता है । ऐसी स्थिति में जब आमना सामना हो तो आप अपने मन में तुरंत मम्मा बाबा या किसी भी स्नेही आत्मा को देखो और सकाश दो, आप को अच्छा लगेगा ।
अपना मन किसी पॉज़िटिव सोच में लगाये रखो, तो ईर्ष्यालु व्यक्ति डिसट्रब नही कर सकेगा ।
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