Monday, May 18, 2020

साँस -नियम


             अगर दो घंटे से ज्यादा देर कोई स्वर चलता  है तो यह किसी बीमारी  का प्रतीक है ।

       जब सुषमना नाड़ी अर्थात दोनो नथुनों से एक साथ सांस   आता है तो उस समय मन सात्विक हो जाता है उस समय योग का विशेष अभ्यास करना चाहिये । यह समय 5-10 मिनिट से ज्यादा  नहीं होता ।

       अगर सुषमना नाड़ी लगातार  दो घंटे से ज्यादा चलती है तो यह कोई घातक  बीमारी की  निशानी है । सूक्ष्म शरीर और स्थूल शरीर के बीच  तालमेल बिठा  रही है ।

        सुषमना स्वर अधिक चलने पर चिन्ता  नहीं दिनचर्या मे सुधार करो ।

        एक दम ताप या शीत  बढ़ने से, पाचन व्यवस्था के गड़बड़ाने से, लम्बे समय तक तनाव की अवस्था मे रहने से सुषमना स्वर लम्बे समय का हो जाता है । उस लम्बे काल को सीमित करने के लिये आहार, व्यवहार, विचार  मे परिवर्तन करना  चाहिये, इस से स्वर अनुकूल हो जाता  है ।

      अपना नियमित स्वर चक्र जानना  हो तो कुछ  दिन के लिये, अपनी जेब मे हर समय कागज कलम रखे ।  अपने  प्रत्येक कार्य करने के दौरान थोड़ी थोड़ी देर के बाद अपने स्वर की जांच  करें की कौन सा स्वर चल रहा  है ।

       नोट करो कि भोजन, शयन, स्नान आदि क़ी  क्रियाओं से  पहले और बाद मे कौन सा स्वर चला है । अति सर्दी अति गर्मी के समय स्वर नोट करें  । सप्ताह भर  मे अपना  औसत स्वर चक्र जान लेगें ।

       आरम्भ मे आप को स्वर का यह हिसाब किताब रखना  अजीब लगेगा लेकिन कुछ ही दिनो मे आप को इस जाँच  मे रस आने लगेगा । फ़िर  इस जांच  की  जरूरत नहीं होगी । आप का ध्यान बिना किसी यत्न के हर समय सांस की ओर लगा  रहेगा । बिना नासिका छिद्र को छुये अपने स्वर का वेग जान लेगें ।

     इस से कुछ  ही दिनो मे अपने भीतर दिव्यता प्रकट होगी । जब कभी तनाव या किसी और मनोदशा से पीडित होगें  तो अपने स्वर पर ध्यान देने से तनाव मुक्त हो  जायेगे । आप एक नये व्यक्ति के रुप मे  निखरते  चले जायेगे ।

No comments: