प्रेम और क्षमा
प्रेम की कमी के कारण तथा शारीरिक कमजोरी के कारण भी डर लगता है । जब शरीर मे किसी खास किस्म के विटामिन और मिनरल कम हो जाते है तो खास कमजोरी हो जाती है जिस से डर लगने लगता है । लोग सोचते हैं यह किसी पाप के कारण होता है । पाप भी एक कारण है । परंतु ज्यादा कारण कुपोषण है । बुढापे मे मनुष्य लाठी को सहारा समझता है जब कि लाठी मे कोई ताकत नहीं होती । इसलिये भय महसूस होने पर नीच कर्म समझ माफिया न माँगते रहो । परंतु शरीर को उम्र अनुसार स्थूल खुराक और प्यार दो ।
आत्मा मे शक्ति भरती है शांति और प्रेम से । परमपिता परमात्मा को याद करने से आत्मिक बल बढ़ता है । तथा जो भी मनुष्य सामने दिखाई दे या याद आये उसे देखते ही मन मे कहो आप शांत है या कहे आप स्नेही है । इस से हमारे अन्दर शांति और प्रेम के भाव बढेगे और परमात्मा से भी जुड़ते जायेगे । धीरे धीरे आत्मा शक्तिशाली बन जायेगी और भय ख़त्म हो जायेगा ।
प्रेम मे ऐसी शक्ति है जो हमारे ऐसे रिशतेदार और मित्र वा सम्बन्धी जो शरीर छोड़ चुके है उनके पास भी पहुँचता है । असल मे वे सभी इस संसार मे जन्म ले चुके हैँ और एक अलग फ्रेक्वेन्सी पर रह रहे है इसलिये वे दिखाई नहीं देते । प्रेम एक ऐसी फ्रेक्वेन्सी है जो उन आत्माओ को भी ढूँढ़ लेती है । सिर्फ उन की शक्ल को कल्पना मे देखते ही हमारा मन उनसे जुड़ जाता है । वह चाहे कहीं भी रह रहे हो । उनके पास स्थूल भोजन, स्थूल पदार्थ और पैसे नहीं पहुंचते । इसलिये अगर हम उनकी मदद करना चाहते है तो उनके प्रति प्रेम और शांति की तरंगे भेजो जो उन्हे शक्तिशाली व मालामाल कर देंगी । वे चाहे कैसे भी थे उन्हे दुआयें दो शुभ भावनायें दो । यही एक विधि है जिस से उनकी मदद कर सकते हैँ । यही सच्ची क्षमा भी है ।
फलाने व्यक्ति ने आत्म हत्या कर ली, फलाना व्यक्ति एक्सीडेंट मे मर गया, कोई बीमारी से मर गया, जब भी आप कोई ऐसा समाचार सुने, बेशक आप उसे जानते हो या न जानते हो, उसके लिये भी परमात्मा से शांति और प्रेम की कामना करो। ऐसे महसूस करो जैसे आप उन्हे प्यार से पुचकार रहे है । आप का यह भाव उनको भी पहुंचेगा ॥
निर्जीव वस्तुओं, यंत्रों एवम पानी आदि पर भी भावनाओ और विचारो का प्रभाव पड़ता है । प्रत्येक पदार्थ एक तरंग है । इस लिये आप अपनी वस्तुओं, उपकरणों आदि निर्जीव चीजो को एक नई दृष्टि से देखो । हमारी मानसिक शांति, दैनिक जीवन मे काम आने वाली वस्तुओं और उपकरणों पर भी निर्भर है । उन्हे भी प्यार दो, धन्यवाद दो, उनका पूरा रख रखाव रखो वे आपके लिये भाग्यशाली सिध्द होगे । उन्हे ऐसे रखो जैसे हम घर के सदस्यों की देखभाल करते है ।
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