Monday, March 9, 2020

मनचाही शक्तियों की प्राप्ति और कुदरती नियम -शक्ति पात

मनचाही प्राप्ति  और कुदरती नियम 

शक्तिपात 

1-शक्तिपात अर्थात अपनी शक्ति का हस्तांतरण करना । 

2-अगर हमारे पास  पदार्थ है तो हम दूसरों को भोजन कराते  हैं ।  लंगर चलाते  है । दूसरों को कपड़े दान  करते है ।   जरूरत मंदो को हर माह  कुछ ना कुछ  पदार्थ दान  करते रहते है । यह एक प्रकार का शक्तिपात  है । 

3-हम जिस भी धार्मिक  संस्था से जुड़े होते है,  उसको तन, मन और धन से यथा शक्ति सहयोग देते है ,  यह सहयोग भी एक शक्तिपात  है । 

4- अगर हमारे पास  धन है तो हम स्व इच्छा से स्कूल ,  कॉलेज,  यूनिवर्सिटी और फ्री हस्पताल खोल देते है या गरीब विद्यार्थियों की आर्थिक मदद करते है तो यह  भी शक्तिपात  है । 

5-हम गरीब लोगों को अपना मकान,  प्लाट,  कार ,  स्कूटर,  साइकल  आदि दान  दे देते है तो यह भी शक्तिपात  है । 

6-जब जब   प्राकृति  की तरफ से कोई  आपदा  आती है तो हम मानवता की भलाई के लिये आगे आते है और बिना स्वार्थ  सहयोग देते है । यह सहयोग भी शक्तिपात  है । 

7-स्थूल पदार्थों से जो हम दूसरों को सहयोग देते है यह पहले   स्तर का शक्तिपात  है ।  अगर यह ना हो तो समाज  नष्ट हो जायेगा । 

8-दूसरे स्तर का शक्तिपात  है लोगों को रोजी रोटी कमाने की कला सिखाना । 

9-हर व्यक्ति में कोई ना कोई कला होती है ।  संगीत कला,  पाक कला  उपचार कला,  इंजिनियरिंग की कला,  टीचिंग की कला अर्थात आप गायक है,  अच्छे कुक है,   इंजिनियर है,  अच्छे मेकेनिक है,  अच्छे डांसर है,  अच्छे पहलवान है,  अच्छे कोच है,  वकील है,  शिक्षक  है,  किसान  है,  प्रॉपर्टी डीलर है,  प्रचारक है ।  हम अपनी यह कला दूसरों को सिखा कर उन्हें  रोजी रोटी के लायक बनाते है ।  यह दूसरी तरह  का शक्तिपात  है । 

10-हम सक्षम है और लोगों को रोजगार देते है ।  घर में ,  दुकान में ,  फेक्टरी  में लोगों को रोजगार देते है ।  यह   भी शक्तिपात  है । 

11-हम मेहनत कर के  अच्छी पढ़ाई से सरकार  में उंच नौकरी आई  ए  एस या आई पी एस बन जाते  है तो सरकार  हमें बहुत  सारी शक्तिया  दे देती है । इसे भी शक्तिपात  कह सकते   हैं । 

12-हम समज सेवा करते करते पार्षद,  महापौर,  एम एल ए,  एम पी,  -  मुख्यमंत्री,  मंत्री,  प्रधान मंत्री  और राष्ट्रपति बन जातें  है ।  इस से हमें अथाह शक्तियां  मिल जाती  है ।  ये भी शक्तिपात  कहते  है । 

13-पवित्रता,  योग साधना  और सेवा करते करते जब हम आंतरिक रूप से योग्य बन जाते  है  तो ईश्वरीय शक्तियों से सम्पन्न  महापुरुष या भगवान  हमें अपनी शक्तियां  दे देते है ।  असल में यही वास्तविक शक्ति पात  है । जिसका बहुत  महिमा मंडन है ।

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