जब हम गुस्से मे होते है तो सांस तेज हो जाते है और जब आराम की अवस्था मे होते है सांस धीमी हो जाती है ।
हमारा मन हमारी सांसे, हमारे सारे ऊर्जा चक्र सभी आन्तरिक रूपों से एक दूसरे से जुड़े हुये है ।
हमारे मन की अवस्था शरीर मे उपस्थित जीवनी विद्युत पर निर्भर करती है जो हम सांस लेते समय प्राप्त करते है ।
जब हमें अचानक घबराहट, अस्थिरता या भ्रम महसूस होने लगता है, उत्साह की कमी, अवसाद व लक्ष्यहीनता के लक्षण सामने आते है तो यह दर्शाता है कि हमें सांस लेते समय कम मानसिक विद्युत प्राप्त हो रही है ।
श्वास मन का भौतिक रुप है ।
यदि सांस पर नियंत्रण हो जाये तो हम शरीर और मन पर नियंत्रण कर सकते है।
क्या आप लगातार थकान का अनुभव करते है ? दोपहर होते होते कार्य की शक्ति जवाब दे जाती है । थकान होने का कारण जानने के लिये टेस्ट कराते कराते थक गये है । सब कुछ ठीक है परंतु थकान जाती ही नहीं ।
हमारी सांस लेने की प्रक्रिया की कमजोरी ही इन लक्षणों को जन्म दे रही है । पेशियों मे खिंचाव या दर्द, सीने मे दर्द, माहवारी से पहले होने वाला तनाव वा दर्द इसी श्रेणी मे आता है ।
थकावट वा उपरोक्त लक्षणों मे गहरी गहरी सांस लो और मुख से छोडो । इस के साथ साथ मन मे कोमल भावनायें, स्नेह की भावना रखो, स्वीकार भावना रखो, मधुर संगीत मन मे गुनगुनाते या सुनते रहो । आराम करो तथा मन से दूसरो को तरंगे दो ।
जब हम सांस की गति धीमी करते है तो इस से हमारे विचारो को फैलने के लिये स्थान मिलता है । हम सांस मे जितना अंतराल रखते है विचारो को उतना ही स्थान मिलता जाता है जिस से विचारो मे बुद्विमता और स्पष्टता आने लगती है ।
गहरी सांस भावनाओ को शांत करती है तथा परिस्थितियो को समझने मे मदद करती है ।