Monday, March 11, 2019

कल्पना और उत्साह

                 पृथ्वी के हृदय में अनेक बहुमूल्य खनिज और रत्न छिपे हुए है । जो बाहर से दिखते नहीं जब इन बहूमूल्य तत्वों को प्राप्त करने का प्रयत्न करते है तॊ पृथ्वी हमें अनेको उपहारो से पुरस्कृत कर देती है । आप के मस्तिष्क में भी अनंत प्रतिभाओं का खजाना भरा हुआ है । 
                इस खजाने को पाने के लिये आप को प्रयास करना होगा । वह प्रयास है आप को उत्साह में रहना होगा । उत्साह वह हाथ है जो मन के बंद दरवाजे खोल देता है । कल्पना में बिंदु को देखो और मन में कहते रहो मै चुस्त हूं मै चुस्त हूं आप में थोडी देर में उत्साह आ जाएगा । 
                कल्पना में उगते हुए सूर्य को देखते रहे आप को सूर्य से ऊर्जा आने लगेगी और उत्साह आने लगेगा । अगर हो सके तॊ सुबह उगते सूर्य को 5 मिनिट देखा करें । भगवान को याद करते हुए कल्पना में भागते हुए घोडो को देखा करो आप में उत्साह आ जाएगा । 
               अपने घर में या कार्य स्थल पर भागते हुए घोडो की फोटॊ लगा ले और उसे देखतें रहे । आप में उत्साह बना रहेगा । भगवान को याद करते हुए कल्पना में या वास्तव में खेल खेलते खिलाडियो को देखतें रहा करो आप में उत्साह बना रहेगा । कल्पना में छोटे बच्चों को देखते रहा करो । बच्चे निर्दोष होते है । आप को बच्चों से ऊर्जा मिलेगी और आप में उत्साह बना रहेगा । 
                काम करते हुए किसी स्नेही व्यक्ति को मन से तरंगे देते रहो । आप में उत्साह बना रहेगा । हमें कोइ न कोइ रोग लगा रहता है । दवाई तॊ लेनी ही है परन्तु कार्य में लगे रहो इस से आप को आर्थिक हानि नहीं होगी । काम करने से उत्साह बनता है और रोग भी ठीक हो जाता है । उन लोगो से संबंध सम्पर्क रखो जो खुशदिल है और विकास की बाते करते है । निराश लोगो से बचा करो जी । 
                हरे पेड़ो और पौधो में जा कर बैठने से उनकी विद्युत हमें विपुल मात्रा में मिलती है जिस से उत्साह बना रहता है । अगर आप के आस पास हरे पेड़ पौधे नहीं है तॊ उन्हे कल्पना में देखते रहा करो । दोनो दशाओं में एक जैसा लाभ होगा । मधुर और प्रेम से भरे गीत सुनने से उत्साह बना रहता है । वीर रस की कविताए सुनने से मन में जोश हिलोरे लेने लगता है ।

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