आप कोई पत्र लिख रहे है ।
आप का दिमाग लिखने में लगा हुआ है । आप दिमाग में शब्द सोच रहे है कि क्या लिखना है ।
इसके साथ सड़क से गुजरती गाड़ियों की आवाज सुनाई दे रही है ।
गली में कुत्ते भौंक रहे हैँ ।
बीच में घर के सदस्यो को शोर मचाने से मना भी किया ।
इन सब हंगामों के बीच में अपना पत्र पूरा किया ।
आप के पास ऐसी कौन सी शक्ति थी जिसने यह काम करवाया ।
इसे जागृत मन कहते है जो बाहरी शक्तियो को अपनी शक्ति से पराजित कर देता है और आप अपना कार्य सफलता पूर्वक कर पाते हैंं ।
मन हमारे जीवन का बहुत बड़ा साथी हैंं ।
मन दो तरह के कार्य करता हैंं ।
कुछ कार्य हम बिना इच्छा के करते हैंं ।
किसी गर्म चीज पर हाथ लगने पर हम तुरंत हाथ उठा लेते हैँ , इस के लिये हमें सोचना नहीं पड़ता ।
हमें चोट लग जाए तॊ बिना सोचे मुंह में डाल लेते हैँ, उस स्थान पर फूंक मारने लगते हैँ ।
अचानक कोइ जानवर हम पर हमला कर दें हमारी आवाज भारी हो जाती हैँ हमारे हाथ में जो कुछ भी आये हम उठा कर उस पर फेंक देते हैँ । यह रीएक्शन बिना सोचे ही हो जाता है ।
कुछ कर्म ऐसे होते है जिन्हें हम सोच समझ कर करते हैँ ।
हमें मकान बनाने का विचार आया ।
हमें कितने कमरे, कितने बाथ रूम, स्टडी रूम, ड्राइंग रूम, किचन आदि चाहिये और भविष्य में क्या क्या चाहिये, यह सब सोचते हैँ । यही कल्पना है ।
अब हम अपनी आवश्यकता आर्किटेक्ट को बताते हैँ । वह हमारी आवश्कता अनुसार एक सुन्दर नक्शा बनाता है । यही कल्पना है ।
कल्पना अर्थात जो चीज हम चाहते हैँ उसे पहले मन में सोचते हैँ ।
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