Friday, February 20, 2015

क्या आप जानते हैं आप दुखी क्यों हैं

           इन दिनों प्रत्येक व्यक्ति अपनी उदासी और अपने दुखों का कारण दूसरे व्यक्ति को मान रहा है। वह दुखी क्यों है, उदास और हताश क्यों है? इसके लिए वह दूसरों को कारण मानता है। समाज का प्रत्येक व्यक्ति उसके दुख का कारण है।

           वह उदास है, इसलिए नहीं कि उसने अपने मन में विकार पाल रखा है, बल्कि इसलिए कि संसार के लोग नहीं चाहते कि वह खुश रहे। चौराहे पर खड़े लोग एक-दूसरे को अपने दुख और अपनी उदासी के लिए उलाहना दे रहे हैं। प्रत्येक व्यक्ति यही कह रहा है कि आजकल सभी लोग बुरे हो गए हैं और केवल वही सही है। ऐसे ही लोग मानसिक रूप से दरिद्र होते हैं। अगर वे दरिद्र हैं तो अपने कारण से किसी दूसरे के कारण नहीं, लेकिन अपनी भूल कोई नहीं मानता। अपना चेहरा कोई नहीं देखना चाहता, क्योंकि उसे अपनी कुरूपता से डर लगता है। दूसरे की कुरूपता से उसे मजा आता है। यह बड़ी अजीब बात है। लोग दूसरे की प्रसन्नता में मजा लेते हैं और ऐसे लोग अपनी ही उदासी और दुख में मजा लेते हैं। यह एक तरह की मानसिक कुरूपता है जिससे हमें मुक्ति पाना बेहद जरूरी है। ऐसे लोगों के जीवन में न कोई प्रेम होता है और न कोई आकर्षण होता है। ऐसे ही लोग प्रत्येक सुंदरता और आकर्षण के विरोधी होते हैं। मनोविज्ञान में ऐसे लोगों को आत्महंता कहते हैं।

          परमात्मा ने तुम्हें सुंदर बनाया है, लेकिन तुम कुरूप बनकर दूसरों को दुखी कर रहे हो। अपनी कुरूपता से किसी को दुखी करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है। आप कुरूप रहना चाहते हो, रहो। लेकिन अपनी कुरूपता से दूसरों को क्यों दुखी कर रहे हो। अपना कुरूप चेहरा, उदास, दुखी और हताश मुखमंडल दूसरों को क्यों दिखाना चाहते हैं। आप केवल यह साबित करना चाहते हो कि मैं दुखी हूं। सभी लोग मेरे पास आएं और मुझे अपनी सहानुभूति दें, मुझे प्रेम करें, लेकिन आप किसी को प्रेम न करें। इसी स्वार्थ के कारण ऐसे उदास, हताश लोगों से सभी घृणा करते हैं। ऐसे ही लोग न स्वयं जीना चाहते हैं और न दूसरों को जीने देना चाहते हैं। यह उदासी आज पूरे समाज में प्रत्येक परिवार में बड़ी तेजी से फैल रही है। पति-पत्नी, बाप-बेटा, भाई-भाई एक दूसरे से दुखी हैं।

No comments: