Monday, February 16, 2015

प्रेम पाने के लिए देना सीखें


                     संसार में हर किसी का मकसद प्रेम को पाना है। बहुत कम लोगों को प्रेम मिल पाता है। आम तौर पर हम स्त्री और पुरुष के मिलन को प्रेम समझ बैठते हैं। यह भी प्रेम हो सकता है, लेकिन जहां पाने की शर्त होती है, वहां प्रेम नहीं हो सकता। देना तो प्रेम है, लेना प्रेम नहीं। प्रेम की पहली शर्त ही है सब कुछ परावर्तित कर देना। जो सब कुछ छोड़ देने का दम दिखाता है, वही प्रेमी कहलाता है। सबसे बड़ा उदाहरण 'राधा का ही है। राधा ने अपने प्रेम में सब कुछ छोड़ दिया, यहां तक कि प्रेमी को भी।

                   हम सारी जिंदगी प्रेम की तलाश करते हैं, पर प्रेम को पा नहीं पाते। हम प्रेम पर अपना कब्जा जमाना चाहते हैं। हम अपने प्रेम को रौंदने लगते हैं। हम प्रेमी को गुलाम समझने लगते हैं। हम समझ ही नहीं पाते कि जिससे हमें प्रेम है, उसे छोड़ेंगे, तभी तो प्रेम नजर आएगा। पकड़ कर हम प्रेम का रोना रोते हैं कि प्रेम नहीं मिल रहा।

                  प्रेम करने वाले प्रेम को छोड़ना सीखें, उसे आजाद करना सीखें। उसे परावर्तित करना सीखें। तब जिंदगी में प्रेम नजर आने लगेगा। शर्त यही है कि जिससे प्यार है, जिस रंग से प्यार है, जिस चीज से प्यार है, उसे परावर्तित होने दीजिए। प्रेम हो या रंग, पकड़ने की चीज नहीं।

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