Monday, March 11, 2019

अंसतुष्टि ही हमारे दुःख का कारण

                 एक बार की बात है, किसी जंगल में एक कौवा रहता था,वो बहुत ही खुश था,क्योंकि उसकी ज्यादा इच्छाएं नहीं थीं। वह अपनी जिंदगी से संतुष्ट था,लेकिन एक बार उसने जंगल में किसी हंस को देख लिया और उसे देखते ही सोचने लगा कि ये प्राणी कितना सुन्दर है, ऐसा प्राणी तो मैंने पहले कभी नहीं देखा!इतना साफ और सफेद।यह तो इस जंगल में औरों से बहुत सफेद और सुंदर है, इसलिए यह तो बहुत खुश रहता होगा।
                    कोवा हंस के पास गया और पूछा,भाई तुम इतने सुंदर हो, इसलिए तुम बहुत खुश होगे?इस पर हंस ने जवाब दिया, हां मैं पहले बहुत खुश रहता था, जब तक मैंने तोते को नहीं देखा था।उसे देखने के बाद से लगता है कि तोता धरती का सबसे सुंदर प्राणी है।
                     हम दोनों के शरीर का तो एक ही रंग है लेकिन तोते के शरीर पर दो-दो रंग है,उसके गले में लाल रंग का घेरा और वो सूर्ख हरे रंग का था,सच में वो बेहद खूबसूरत था।अब कौवे ने सोचा कि हंस तो तोते को सबसे सुंदर बता रहा है,तो फिर उसे देखना होगा।
                     कौवा तोते के पास गया और पूछा, भाई तुम दो-दो रंग पाकर बड़े खुश होगे?इस पर तोते ने कहा,हां मैं तब तक खुश था जब तक मैंने मोर को नहीं देखा था।मेरे पास तो दो ही रंग हैं लेकिन मोर के शरीर पर तो कई तरह के रंग हैं।अब कौवे ने सोचा सबसे ज्यादा खुश कौन है,यह तो मैं पता करके ही रहूंगा।इसलिए अब मोर से मिलना ही पड़ेगा। 
                        कौए ने मोर को जंगल में ढूंढा लेकिन उसे पूरे जंगल में एक भी मोर नहीं मिला और मोर को ढूंढते-ढूंढते वह चिड़ियाघर में पहुंच गया,तो देखा मोर को देखने बहुत से लोग आए हुए हैं और उसके आसपास अच्छी खासी भीड़ है। 
                         सब लोगों के जाने के बाद कौवे ने मोर से पूछा,भाई तुम दुनिया के सबसे सुंदर जीव हो और रंगबिरंगे हो, तुम्हारे साथ लोग फोटो खिंचवा रहे थे।तुम्हें तो बहुत अच्छा लगता होगा और तुम तो दुनिया के सबसे खुश जीव होगे? इस पर मोर ने दुखी होते हुए कहा, भाई अगर सुंदर हूं तो भी क्या फर्क पड़ता है! मुझे लोग इस चिड़ियाघर में कैद करके रखते हैं, लेकिन तुम्हें तो कोई चिड़ियाघर में कैद करके नहीं रखता और तुम जहां चाहो अपनी मर्जी से घूम-फिर सकते हो। इसलिए दुनिया के सबसे संतुष्ट और खुश जीव तो तुम्हें होना चाहिए, क्योंकि तुम आज़ाद रहते हो। 
                          कौवा हैरान रह गया, क्योंकि उसके जीवन की अहमियत कोई दूसरा बता गया। ऐसा ही हम लोग भी करते हैं। हम अपनी खुशियों और गुणों की तुलना दूसरों से करते हैं, ऐसे लोगों से जिनका रहन-सहन का माहौल हमसे बिलकुल अलग होता है। 
                          हमारी जिंदगी में बहुत सारी ऐसी चीज़ें होती हैं, जो केवल हमारे पास हैं, लेकिन हम उसकी अहमियत समझकर खुश नहीं होते। लेकिन दूसरों की छोटी ख़ुशी भी हमें बड़ी लगती है, जबकि हम अपनी बड़ी खुशियों को इग्नोर कर देते हैं|

नाराजगी और व्यवहार

                 जब भी हम नाराज होते है तो हमें यह पता होता हैं कि हम किस वजह से नाराज है । कोई पेड़ या पौधा, भौंरा या कीड़ा... दूसरों को मारने की साजिश नहीं रचता ।
                  मनुष्य अपने विचारो को दूसरों पर थोपने का प्रयास करता है। जो लोग उससे सहमत नहीं होते, उनसे नाराज रहना शुरू कर देता है । जब दूसरे लोग ऐसे काम करते हैं, जो आप को पसंद नहीं हैं, तब आप उन्हें सहन नहीं कर पाते। आप उन से नाराज हो जाएंगे, उन्हें धमकी देंगे... कभी-कभी कोई सजा भी देंगे।
                आप की नाराजगी चट्टान से हो सकती है, भगवान से हो सकती है, किसी मित्र से हो सकती है , गुरु से भी हो सकती है। आप सोचते हैं क़ि नाराजगी एक शक्ति है। उसके द्वारा कई चीजों को प्राप्त कर सकते हैं। इसे आप एक हथियार समझते हैं । लेकिन इस हथियार का दूसरों पर प्रयोग करते समय, वह उन पर जो असर डालता है, उससे ज्यादा असर आप पर ही डालता है।
                 जब आप नाराज होते हैं आपकी अक्ल उल्टा-सीधा काम करने लगती है और उसका नतीजा हमेशा बुरा ही होता हैं । नाराजगी का कारण आप के मन में है । यदि आप इस तथ्य का अनुभव कर लें तो आपकी समझ में आ जाएगा, कि नाराज रहना कितनी बड़ी मूर्खता है।
                दुनिया में जहाँ-जहाँ शासन चलाने की नीयत हावी रहेगी, उन जगहों पर बगावतें और क्रांतियाँ फूट पड़ेगी । हम उन लोगों को पसंद नहीं करते और नाराज हो जाते है जो हमारे पर हकूमत चलाना चाहते है । जो हमें सहयोग करते है उन्हे पसंद करते है ।
                जब लोगो से मिलते है उनके प्रति शांति, प्रेम और अपनेपन की भावना रखा करो । यही तो सभी लोग चाहते है । अगर यह नहीं होगा तो लोग नाराज हो जाएंगे । दूसरो की अपेक्षा स्वयं को ऊँचा देखना, यह रेवैया आप को उन्नति नहीं करने देगा । लोग नाराज होते रहेंगे ।
              तुझे माफ कर दिया, तुझे छोड़ दिया बस काम करो, यह बोल दिखाते है क़ि आप भूले नहीं है आप चाह रहे है क़ि गुलाम बनो नहीं तो छोडूंगा नहीं । दिमाग में एक विशेष प्रकार का विटामिन कम हो जाता है जिस से मनुष्य छोटी छोटी बातो पर नाराज हो जाताहै और क्रोध करने लगता है ।
              यह विटामिन सिर्फ भगवान की याद से ही बनता है । अगर 3 घंटे हर रोज योग का अभ्यास करते है तब मनुष्य इस कमजोरी पर विजय पा सकता है । यही कारण है क़ि बड़े बड़े संत भी नाराज हो जाते है और क्रोध करते है क्योकि वह पर्याप्त साधना नहीं करते ।

कल्पना क्या है

                     आप कोई पत्र लिख रहे है । आप का दिमाग लिखने में लगा हुआ है । आप दिमाग में शब्द सोच रहे है कि क्या लिखना है । इसके साथ सड़क से गुजरती गाड़ियों की आवाज सुनाई दे रही है । 
                     गली में कुत्ते भौंक रहे हैँ । बीच में घर के सदस्यो को शोर मचाने से मना भी किया । इन सब हंगामों के बीच में अपना पत्र पूरा किया । आप के पास ऐसी कौन सी शक्ति थी जिसने यह काम करवाया । इसे जागृत मन कहते है जो बाहरी शक्तियो को अपनी शक्ति से पराजित कर देता है और आप अपना कार्य सफलता पूर्वक कर पाते हैंं । मन हमारे जीवन का बहुत बड़ा साथी हैंं । 
                     मन दो तरह के कार्य करता हैंं । कुछ कार्य हम बिना इच्छा के करते हैंं । किसी गर्म चीज पर हाथ लगने पर हम तुरंत हाथ उठा लेते हैँ , इस के लिये हमें सोचना नहीं पड़ता । हमें चोट लग जाए तॊ बिना सोचे मुंह में डाल लेते हैँ, उस स्थान पर फूंक मारने लगते हैँ । 
                     अचानक कोइ जानवर हम पर हमला कर दें हमारी आवाज भारी हो जाती हैँ हमारे हाथ में जो कुछ भी आये हम उठा कर उस पर फेंक देते हैँ । यह रीएक्शन बिना सोचे ही हो जाता है । कुछ कर्म ऐसे होते है जिन्हें हम सोच समझ कर करते हैँ । 
                     हमें मकान बनाने का विचार आया । हमें कितने कमरे, कितने बाथ रूम, स्टडी रूम, ड्राइंग रूम, किचन आदि चाहिये और भविष्य में क्या क्या चाहिये, यह सब सोचते हैँ । यही कल्पना है । अब हम अपनी आवश्यकता आर्किटेक्ट को बताते हैँ । वह हमारी आवश्कता अनुसार एक सुन्दर नक्शा बनाता है । यही कल्पना है । 
             कल्पना अर्थात जो चीज हम चाहते हैँ उसे पहले मन में सोचते हैँ । .

कल्पना और उत्साह

                 पृथ्वी के हृदय में अनेक बहुमूल्य खनिज और रत्न छिपे हुए है । जो बाहर से दिखते नहीं जब इन बहूमूल्य तत्वों को प्राप्त करने का प्रयत्न करते है तॊ पृथ्वी हमें अनेको उपहारो से पुरस्कृत कर देती है । आप के मस्तिष्क में भी अनंत प्रतिभाओं का खजाना भरा हुआ है । 
                इस खजाने को पाने के लिये आप को प्रयास करना होगा । वह प्रयास है आप को उत्साह में रहना होगा । उत्साह वह हाथ है जो मन के बंद दरवाजे खोल देता है । कल्पना में बिंदु को देखो और मन में कहते रहो मै चुस्त हूं मै चुस्त हूं आप में थोडी देर में उत्साह आ जाएगा । 
                कल्पना में उगते हुए सूर्य को देखते रहे आप को सूर्य से ऊर्जा आने लगेगी और उत्साह आने लगेगा । अगर हो सके तॊ सुबह उगते सूर्य को 5 मिनिट देखा करें । भगवान को याद करते हुए कल्पना में भागते हुए घोडो को देखा करो आप में उत्साह आ जाएगा । 
               अपने घर में या कार्य स्थल पर भागते हुए घोडो की फोटॊ लगा ले और उसे देखतें रहे । आप में उत्साह बना रहेगा । भगवान को याद करते हुए कल्पना में या वास्तव में खेल खेलते खिलाडियो को देखतें रहा करो आप में उत्साह बना रहेगा । कल्पना में छोटे बच्चों को देखते रहा करो । बच्चे निर्दोष होते है । आप को बच्चों से ऊर्जा मिलेगी और आप में उत्साह बना रहेगा । 
                काम करते हुए किसी स्नेही व्यक्ति को मन से तरंगे देते रहो । आप में उत्साह बना रहेगा । हमें कोइ न कोइ रोग लगा रहता है । दवाई तॊ लेनी ही है परन्तु कार्य में लगे रहो इस से आप को आर्थिक हानि नहीं होगी । काम करने से उत्साह बनता है और रोग भी ठीक हो जाता है । उन लोगो से संबंध सम्पर्क रखो जो खुशदिल है और विकास की बाते करते है । निराश लोगो से बचा करो जी । 
                हरे पेड़ो और पौधो में जा कर बैठने से उनकी विद्युत हमें विपुल मात्रा में मिलती है जिस से उत्साह बना रहता है । अगर आप के आस पास हरे पेड़ पौधे नहीं है तॊ उन्हे कल्पना में देखते रहा करो । दोनो दशाओं में एक जैसा लाभ होगा । मधुर और प्रेम से भरे गीत सुनने से उत्साह बना रहता है । वीर रस की कविताए सुनने से मन में जोश हिलोरे लेने लगता है ।