कुछ अपने दिल की --
जिन्दगी की दौड़ में,
तजुर्बा कच्चा ही रह गया।
हम सीख न पाये 'फरेब',
और दिल बच्चा ही रह गया।।
बचपन में जहां चाहा हँस लेते थे,जहां चाहा रो लेते थे,
पर अब मुस्कान को तमीज़ चाहिए और आंसुओ को तन्हाई।।
हम भी मुस्कराते थे कभी बेपरवाह अन्दाज़ से,
देखा है आज खुद को कुछ पुरानी तस्वीरों में,
चलो मुस्कुराने की वजह ढुंढते हैं,
तुम हमें ढुंढो,
हम तुम्हे ढुंढते हैं।।
समझ ज्ञान से ज्यादा गहरी होती है,बहुत से लोग आपको जानते हैं,
परंतु कुछ ही आपको समझते है|
हमें अक्सर महसूस होता है कि दूसरों का जीवन अच्छा है लेकिन,,,,,
हम ये भूल जाते है कि उनके लिए हम भी दूसरे ही है,,
मुस्कराना जिन्दगी का वो खुबसूरत लम्हा है,,,,
जिसका अंदाज सब रिश्तों से अलबेला है..
जिसे मिल जाये वो तन्हाई में भी खुश,,,,,
और जिसे ना मिले वो भीड़ में भी अकेला है..
अगर आपको वह "फसल" पसन्द नहीं है,*
जो आप काट रहे हैं,,
तो बेहतर होगा उन "बीजों" की जांच करें,,,,
जो आप बो रहे हैं,,,,,,
जीवन की सफलता का
पहला राज की सबसे पहले ख़ुद पर यक़ीन करना सीखो,,,,,
सद्गुणों की शुरूआत स्वयं से ही करनी पड़ती है,,,,
क्योंकि जब तक आपकी अँगुली पर कुमकुम नहीं लगेगी तब तक सामने वाले के ललाट पर तिलक नहीं लग पायेगा,,,,
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