आंतरिक बल
मूल आधार चक्र -3
मूल आधार चक्र धरती से जुड़ा हुआ है । इस चक्र का जागरण ही विश्व को जीतना है । इस चक्र का जागरण ही कुंडलनी जागरण है ।
इस चक्र को जीतने के लिये ब्रह्मचर्य पहली शर्त है । मन में भी अपवित्र संकल्प न उठे जिसके लिये बहुत अटेन्शन की जरूरत है वह यह कि विपरीत लिंग के लोग सिर्फ और सिर्फ हमारे भाई है या बहिनें है केवल यह याद रखे और कर्म में लाये ।
मान, शान और शोहरत पाने की भावना दूसरी बडी चुनौती है । ये ऐसी बाधा है जैसे धरती से ऊपर उड़ना है । बिना हवाई जहाज या राकेट के आप उड़ नहीं सकते है ।
ऐसे ही इस चक्र को जागृत करने के लिये नियमों को समझना होगा । जैसे हवाई जहाज या राकेट के नियम को जानते है ।
पवित्रता के संकल्प ही बल है, पवित्रता के संकल्प ही उर्जा है, पवित्रता के संकल्प ही ईंधन है ।
हवाई जहाज या राकेट को उड़ाने के लिये शुध्द ईंधन की जरूरत होती है ।
- मूल आधार चक्र को जागृत करने या उडाने के लिये पवित्र संकल्प रूपी ईंधन की जरूरत होती है ।
आंधी , तूफान, सर्दी, गर्मी , हवा वा तापमान सभी यान पर प्रभाव डालते है । परंतु शुध्द इंधन से बल उत्पन्न होता रहता है जिस से यान सब बाधाओ को पार कर जाता है ।
ऐसे ही दुख , विरोध, पांच विकार तथा सांसारिक व पारिवारिक परेशानिया मूल चक्र को जागृत नहीं होने देती क्योंकि ये अपवित्रता है ।
परंतु शांति, प्रेम, सुख व आनंद के संकल्प विपरीत हालात होने पर भी अगर हम मन में दोहराते रहें तो मन में बल उत्पन्न होता रहेगा क्योंकि ये पवित्रता है जिस से मूल अधार चक्र जागृत हो जायेगा ।
हम जो संकल्प करते है वही घूम कर वापिस आते है और हमारे लिये परिस्थिति का निर्माण करते हैं । हमारी सोच अनुसार व्यक्ति आते जायेगे और परिस्थिति बनती जायेगी और हम सफल होते जाएंगे । जितना पवित्रता के संकल्पों में रहेंगे उतना ही शक्तिशाली हालात बनेंगे और यह चक्र जागृत होता जायेगा ।
मूल आधार चक्र को जागृत करने की मेहनत नहीं करो लेकिन पवित्रता के संकल्प कि मै स्नेही हूं और परमात्मा आप प्यार के सागर है ऐसे संकल्पों को मन में रखो । इसे ही दृढ़ता से सिमरन करो । संसार की हर वस्तु व व्यक्ति को प्यार दो, तब आप को पता ही नहीं चलेगा कि कब यह चक्र जागृत हो गया ।
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