Thursday, January 23, 2020

मानव के प्रकृति से सम्बन्ध

 वृक्ष पर्यावरण की दृष्टि से हमारे  परम रक्षक और मित्र है। 

वृक्ष हमें अमृत प्रदान करते  है। 

     हमारी दूषित वायु को स्वयं ग्रहण करके हमें प्राण वायु देते  है।

      वृक्ष हर प्रकार से पृथ्वी के रक्षक हैं जो मरूस्थल पर नियंत्रण करते हैं, नदियों की बाढ़ो की रोकथाम व जलवायु को स्वच्छ रखते हैं । 

        पेड़ों की एक और विशेषता  है जिस की तरफ संसार का अभी ध्यान नहीं गया  है । 

प्रत्येक पेड़-पौधा एक छोटा-सा विद्युत गृह भी है । 

       जैसे ही हम किसी पेड़ को देखते है उस पेड़ की विद्युत हमें मिलने लगती है ।  हमारे  रोग ठीक हो जाते  है ।  हमारी  आत्मिक शक्ति बढ़ जाती  है । 

      यही कारण है कि  ऋषि जंगलों वा  पहाड़ों पर तपस्या करते थे । 

        कई  ऐसे रोग होते है जिनके हो जाने  पर डॉक्टर्स पहाड़ों पर पेड़ों के बीच रहने के लिये भेज देते है । क्योंकि वहां  वृक्षों से पर्याप्त मात्र  में विद्युत मिलती है । 

       जब हम थके हुये होते है और  किसी हरे भरे बाग  में जाने  पर या हरियाली वाले  स्थान पर जाने  से थकावट दूर हो जाती  है ।  

        असल में हमें  पौधों से विद्युत मिलती है जिस से हमारी थकावट उतर जाती  है । 

        रंग बिरंगे फूलों और हरे पतों को देख कर खुशी होती है क्योंकि उनमें  प्रचुर  विद्युत होती  है । 

         अगर हम किसी पौधे को देखते ही यह सोचे   कि आप   कल्य़ाणकारी  है या कोई और सकारात्मक शब्द बोलते हैं    तो उस की विद्युत  हमारे  में आने लगती है और हमें अच्छा अच्छा लगने लगता है  । 

      कोई गुलाब के फूलों से स्वागत करे  तो हमें कितना अच्छा  लगता  है । अक्सर  स्नेह प्रकट करने का यही उतम ढंग है दूसरों को फूल देना ।  परंतु इसके पीछे फूलों की विद्युत है जो हमें आकर्षित करती है । सकून देती है । 

         जिन पेड़-पौधों से  प्रचुर मात्रा में बिजली  मिलती है -वह है  केला, कैक्टस, गुलाब, अगिया घास, आक, बैगन, आलू, मूली, प्याज, टमाटर, पपीता, हरी मिर्च, अमरूद आदि वृक्ष एवं सब्जियों के पौधे हैं। इन पौधों की विद्युत से हम बल्ब तक जला सकते हैं । 

         आपके आसपास जो भी पौधे है या कहीं  आते जाते  देखते हैं  तो उन पौधों को सकारात्मक विचार दिया करो ।  इस से उनकी विद्युत आप में आने लगेगी  और आप की खुशी बढ़ेगी ।  जितना  ज्यदा पौधों को तरंगें देंगे उतना ही आप का मानसिक  बल बढेगा और आप सहज योगी बन जायेंगे ।

Wednesday, January 22, 2020

प्रेम और क्षमा


प्रेम और क्षमा 

           प्रेम की कमी के कारण तथा शारीरिक  कमजोरी के कारण  भी डर लगता  है । जब शरीर मे किसी खास  किस्म के  विटामिन  और मिनरल कम हो जाते  है तो खास  कमजोरी हो जाती है जिस से डर लगने लगता  है । लोग सोचते हैं यह  किसी पाप के कारण होता है । पाप भी एक कारण  है । परंतु ज्यादा  कारण  कुपोषण  है । बुढापे मे मनुष्य लाठी को सहारा समझता है जब कि  लाठी मे कोई ताकत नहीं होती । इसलिये भय महसूस होने पर नीच कर्म  समझ माफिया न  माँगते रहो । परंतु शरीर को उम्र अनुसार स्थूल  खुराक   और प्यार दो ।

         आत्मा  मे शक्ति भरती  है शांति और  प्रेम से । परमपिता परमात्मा  को याद करने से आत्मिक बल बढ़ता है । तथा  जो भी मनुष्य सामने  दिखाई  दे या याद आये उसे देखते ही मन मे कहो आप शांत है या कहे आप स्नेही है । इस से हमारे अन्दर शांति और प्रेम के भाव  बढेगे और परमात्मा  से भी जुड़ते जायेगे । धीरे धीरे आत्मा शक्तिशाली बन  जायेगी और भय ख़त्म हो  जायेगा ।

         प्रेम मे ऐसी शक्ति है जो हमारे ऐसे रिशतेदार  और मित्र वा सम्बन्धी  जो शरीर छोड़ चुके  है उनके पास भी पहुँचता  है । असल मे वे सभी इस संसार मे जन्म ले  चुके  हैँ और एक अलग फ्रेक्वेन्सी  पर रह रहे है इसलिये वे दिखाई  नहीं देते । प्रेम एक ऐसी फ्रेक्वेन्सी  है जो उन आत्माओ  को भी ढूँढ़ लेती  है । सिर्फ उन की शक्ल को कल्पना मे देखते ही हमारा मन उनसे जुड़ जाता है । वह चाहे कहीं भी रह रहे हो । उनके पास स्थूल भोजन, स्थूल पदार्थ और पैसे नहीं पहुंचते । इसलिये अगर हम उनकी मदद करना चाहते  है  तो उनके प्रति प्रेम और शांति की तरंगे भेजो जो उन्हे शक्तिशाली  व  मालामाल कर देंगी  । वे चाहे कैसे भी थे उन्हे दुआयें दो शुभ भावनायें  दो । यही एक विधि है जिस से उनकी मदद कर सकते हैँ ।  यही सच्ची क्षमा  भी है ।

        फलाने व्यक्ति ने आत्म हत्या कर ली, फलाना व्यक्ति एक्सीडेंट मे मर गया,   कोई बीमारी से मर गया, जब भी आप कोई ऐसा समाचार सुने, बेशक आप उसे जानते हो या न जानते   हो, उसके लिये भी परमात्मा से  शांति और प्रेम की कामना करो। ऐसे महसूस करो जैसे आप उन्हे प्यार से पुचकार रहे है । आप का यह भाव  उनको भी पहुंचेगा ॥

          निर्जीव वस्तुओं, यंत्रों एवम पानी आदि पर भी भावनाओ  और विचारो का प्रभाव पड़ता  है । प्रत्येक पदार्थ एक तरंग है ।  इस लिये आप अपनी वस्तुओं, उपकरणों आदि निर्जीव  चीजो को एक नई दृष्टि से देखो । हमारी मानसिक शांति, दैनिक जीवन मे काम आने वाली वस्तुओं और उपकरणों पर भी निर्भर है । उन्हे भी प्यार दो, धन्यवाद दो, उनका पूरा  रख रखाव रखो वे आपके लिये भाग्यशाली सिध्द  होगे । उन्हे ऐसे रखो जैसे हम घर  के सदस्यों की देखभाल करते है ।

Friday, January 10, 2020

संगीत का असर

 संगीत से  जादू जैसा  असर होता है । 

        बरसात क़ी नन्ही नन्ही बूंदो का रिमझिम राग  सुनते ही कोयल कूक  उठती है । 

       पपीहे गा उठते हैं ।  मोर नाचने लगते हैं  । 

        लहलहाते खेतों को देख कर किसान आनंद विभोर हो उठते हैं । 

         मधुर संगीत का असर  तो प्रत्येक जीवधारी,  पेड़ पौधो और प्राकृति  पर भी  होता हैं । 

        संगीत का  मन पर बहुत असर होता हैं ।  हम अक्सर मधुर गीतो क़ी तरफ खींचे चले जाते हैं । 

       यही कारण हैं कि  संतो और देवताओ ने भक्ति में वाद्य यंत्रो को     महत्वपूर्ण माना  है । 

       शिव के हाथ में डमरू दिखाया  जाता है । 

      श्री  कृष्ण के हाथ में मुरली दिखाई जाती है  । 

        यदि कोई वाद्य यंत्र ना हो तो ताली बजा कर भगवान क़ी याद  में खो जाते है ।

       संगीत को ईश्वर का दर्जा प्राप्त  है । 

     जब कभी तनाव,  उदासी,  हीनता आने लगे तो तुरंत मधुर संगीत सुनना  चाहिए ।
ओम शान्ति..